गया नगर निगम चुनाव : प्रशासन की अच्छी पहल
लेकिन बहुत कुछ करना
है अभी
बिहार में नगर निकाय के चुनाव होने वाले हैं । मतदान 17 मई को है। यहां की जिलाधिकारी बंदना प्रेयसी हैं। एक अच्छी और संवेदनशील अधिकारी हैं। निष्पक्ष चुनाव के लिये बिहार चुनाव आयोग ने बहुत सारे सराहनीय कदम उठाये हैं। गया में इसका प्रभाव दिख रहा है । चुनाव कार्यालय खोलकर शराब और मुर्गा का दौर चलानो वाले प्रत्याशियों के यहां सदर अनुमंडलाधिकारी परितोष कुमार तथा पुलिस प्रशासन ने छापेमारी की । मुकदमे दर्ज किये गये। अवैध रुप से चुनाव कार्यालय खोलकर बैनर लगाने वालों पर भी कार्रवाई की गई । अभी एक नया आदेश हुआ है , दबंग प्रत्याशियों को जिला बदर करने का । यह सराहनीय है । वैसे भी प्रत्याशी का सारा कार्य करने का अधिकार उसके चुनाव अभिकर्ता यानी एलेक्शन एजेंट को है, इसलिये प्रत्याशी क्षेत्र में रहे न रहे इससे कोई अंतर नही पडने वाला । हां एक कानूनी पहलू जरुर जुडा हुआ है . जिला बदर करने का प्रावधान अपराध नियंत्रण कानून की धारा ३ तथा Bihar Maintenance of Public order act 1949 ( amended 1961) की धारा २ में भी externment का प्रावधान है परन्तु उसके साथ अन्य पहलू भी हैं जिनका पालन अनिवार्य है अन्यथा उच्च न्यायालय को हस्तक्षेप का मौका मिल जायेगा और जिलाधिकारी के इस आदेश पर तत्क्षण रोक लग जायेगी। इसके अलावा भी अन्य विकल्प हैं जो अवांक्षित तत्वों को रोक सकते हैं। बिहार मीडिया एक बात दावे के साथ कह सकता है कि ऐसे अवांक्षित तत्वों के अंदर खामिंया भरी पडी हैं । जब प्रशासन चाहेगा उनका नामांकन रद्द हो सकता है । इसके लिये सबसे उत्तम रास्ता है चुनाव के दिन प्रत्याशी को थाने में बैठा के रखा जाय । प्रत्याशी के वैसे समर्थक या परिवार जो मतदान को प्रभावित कर सकते हैं उन्हें जिला बदर कर दिया जाय ।
जिलाधिकारी अपने यहां उस तरह के सभी उम्मीदवारों की बैठक बुलाकर स्पष्ट चेतावनी दे दें कि अगर उनकी किसी भी गतिविधि के कारण चुनाव बाधित होने या निष्पक्ष चुनाव में बाधा उ्त्तपंन होने की बात सामने आती है तो अविलंब गिरफ़तारी की जायेगी। उम्मीदवारों में प्रशासन का खौफ़ साफ़ दिख रहा है । मतदाता भी आश्वस्त हैं । अब सिर्फ़ चुनाव के पहले बटने वाले पैसे पर रोक लगाने की जरुरत है ।
लेकिन बहुत कुछ करना है अभी
1.
चुनाव का मुख्य खेल अभी बाकी
है । चुनाव में दलित तथा गरीब वर्ग के मतदाताओं का वोट खरीदा जाता है । इस कार्य को
अंजाम देते हैं क्षेत्र के दबंग तथा सुदखोर। अधिकांश दलित बस्तियों में नाजायज शराब
की बिक्री होती है । नाजायज शराब का व्यवसाय करने वाले दलितों के वोट की बिक्री में
मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं। हर दलित मुहल्ले के कुछ बेरोजगार लडके शराब बेचने वाले
के ग्रुप में शामिल रहते हैं , उनके माध्यम से दलितों
का वोट खरीदा जाता है । पिछली बार मेरे क्षेत्र के वार्ड संख्या 41 में स्थित चमारटोली का वोट पैसे और शराब पर खरीदा गया था । इस बार भी यही होगा । पुलिस का अपना
तंत्र है , पता लग जाना बहुत आसान है । हमारा भी प्रयास होगा
कि जानकारी प्राप्त होने पर प्रशासन को इसकी सूचना दें।
2.
मतदान के बाद मेयर और उप मेयर
का चुनाव होगा । इस चुनाव में जीत कर आये पार्षद वोट देते हैं। इसमें पार्षदों की खरीद
की जाती है। पिछली बार 50 हजार से लेकर 3 लाख तक में पार्षद बिके थें। जो गरीब
थें उन्हें कम पैसा मिला और शातिर टाईप के पार्षदों को ज्यादा । राजद के विधायक सुरेन्द्र
यादव ने इसमे अहमं भूमिका निभाई थी। इसबार
उम्मीदवारों ने देख लिया है कि कितनी आय होती है पा्र्षद बन जाने के बाद । ठेका से
लेकर कमीशन और दाखिल खारिज में दलाली तक । इसबार का खुला भाव है 3 से 4 लाख रुपया प्रति पार्षद । पिछली बार
सबसे ज्यादा पैसा सुरेश शर्मा ने वसूला था तथा अपनी पत्नी को सशक्त स्थायी समिति का
सदस्य भी बनवाया था । बोधगया के होटल और गया के स्टेशन स्थित अजातशत्रु होटल में पार्टियों का दौर चलता है । प्रशासन
अगर गंभीरता से प्रयास करे तो न सिर्फ़ खरीद बिक्री को रोका जा सकता है , एकसाथ इस गैर कानूनी कार्य में लिप्त वार्ड पार्षद और नेता भी कानून की गिरफ़्त
में आ सकते हैं ।
3.
चुनाव के दिन मतदान केन्द्रो
पर तैनात पुलिस बल और चुनाव कर्मचारियों के लिये पानी तथा भोजन की अच्छी व्यवस्था नही
रहती है । इसका फ़ायदा शातिर और धूर्त प्रत्याशी उठाते हैं । वे मानवता के आधार पर पानी ,
चाय - ठंढा , नास्ता उपलब्ध
कराते हैं और एक संबंध बनाने का प्रयास करते हैं । हम भारतीय हैं इन छोटी –
छोटी चीजों को भी बहुत महत्व देते हैं। प्रत्याशी इसका फ़ायदा उठाकर बोगस
वोट डालने या जायज वोट और अपने विरोधी उम्मीदवार के वोट को बाधित करने के लिये करते
हैं। इसको रोकने के लिये प्रत्येक मतदान केन्द्र पर नियुक्त प्रत्येक पुलिस के जवान
और कर्मचारी के लिये कम से कम पाच –
पाच लीटर ठंढा पानी या 25
लीटर वाला पानी का ठंढा जार उपलब्ध कराया जाय। गर्मी का मौसम
है। दो बार अच्छे स्तर का नास्ता और उम्दा किस्म का भोजन मतदान केन्द्र पर नियुक्त
जवान और कर्मचारियों को उपलब्ध कराया जाय । इस प्रयास का असर दिखेगा ।
वर्तमान में गया में अच्छे अधिकारी
हैं । आयुक्त , डीआईजी, कलक्टर
, वरीय पुलिस अधीक्षक , पुलिस अधीक्षक,
नगर डीएसपी, अनुंडलाधिकारी सराहनीय कार्य कर रहे
हैं । हां थाना स्तर पर कुछ गडबड है , लेकिन उसका खास असर चुनाव
पर नहीं पड रहा है । पिछली बार के मुकाबले इसबार चुनाव की व्यवस्था अत्यंत अच्छी है।
पिछली बार पोस्टर, बैनर , भोजन,
दारु, गली –गली में चुनाव
कार्यालय का जोर था । इसबार यह सब नही दिख रहा है । इसका श्रेय वर्तमान प्रशासनिक सेट
अप को जाता है ।
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